दिन गुजर जाता है यादों के साथ
शाम चली आती है ख़्वाबों के साथ
ग़मों से रिश्ता जुड़ गया है
अब तो उजाले से दर सा लगता है
बस गुजर जाती है रात चिरागों के साथ
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ग़मों से रिश्ता जुड़ गया है
अब तो उजाले से दर सा लगता है
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