आंधियां गम की चलेंगी तो संवर जाऊंगा;
मैं तो दरिया हूँ समंदर में उतर जाऊंगा;
मुझे सूली पे चढाने की ज़रूरत क्या है;
मेरे हाथ से कलम छीन लो मैं मर जाऊंगा!
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